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21 बैगा बहुल एवं 12 भारिया बहुल बसाहटों के हेबिटेट राइट को मिली मान्यता

Updated on 12-11-2024 08:09 PM
भोपाल : जनजातीय कार्य, लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत इन (पीवीटीजी) की बसाहटों का भी संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा डिण्डोरी जिले की 7 एवं मंडला जिले की 14, कुल 21 बैगा जनजाति बहुल बसाहटों के हेबिटेट राइट को मान्यता दे दी गई है। इसी प्रकार छिंदवाड़ा जिले में 12 भारिया जनजाति बहुल बसाहटों के हेबिटेट राइट को भी मान्यता प्रदान कर दी गई है। पर्यावास अधिकार (हेबिटेट राइट) मिलने से आशय यह है कि इस विशेष अधिकार से पिछड़ी जनजातियों को उनकी पारम्परिक आजीविका स्त्रोत और पारिस्थितिकीय ज्ञान को सुरक्षित रखने में भरपूर मदद मिलेगी। ये अधिकार इन पीवीटीजी समुदायों को खुद के विकास के लिए शासकीय योजनाओं और विकास नीतियों/कार्यक्रमों तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाते हैं।

जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि हैबिटेट राइट्स की मान्यता मिलने के बाद ये पिछड़ी जनजातियां अपने जीवन में एक सकारात्मक बदलाव ला रही है। अब वे अपने परम्परागत जंगलों में अपनी आजीविका को बेहतर तरीके से चला रही हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों को यह धरोहर के रूप में भी सौंप सकते हैं। हेबिटेट राइट मिलने से ये जनजातियां अब न केवल अपने जल, जंगल, जमीन, जानवर का संरक्षण करने के लिए सक्षम हुए हैं, बल्कि अपनी पारम्परिक कृषि, औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के यथा आवश्यकतानुसार उपयोग को लेकर भी स्वायत्त धारणाधिकारी (स्वतंत्र) हो गई हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सुदूर वन क्षेत्रों में बसीं बैगा और भारिया जनजातियां लंबे समय से जंगलों और पहाड़ियों में अपनी परम्परागत जीवनशैली जीने की आदी हैं। पहले इन जनजातियों के पास न तो अपनी जमीन का अधिकार था, न ही जंगल पर अपना नियंत्रण। यही उनकी संस्कृति और अस्तित्व के लिए एक बड़ा अवरोध था। बैगा और भारिया जनजातियां मध्यप्रदेश की विशेष रूप से पिछड़े एवं कमजोर जनजातियों (पीवीटीजी) में आती हैं। इनकी जीवनशैली पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करती है। इनके लिए जंगल केवल जीविका का साधन नहीं है, बल्कि यह उनकी परंपराओं, रीति-रिवाजों, और पहचान का अभिन्न हिस्सा है। ये समुदाय सरकार से अपने जंगल और जीवन पर अधिकार की सुरक्षा और अपनी देशज पुरा संस्कृति की सुरक्षा की मांग कर रहे थे। सरकार ने इनकी इस मांग को गंभीरता से लिया और 21 बैगा बसाहटों तथा 12 भारिया बसाहटों के पर्यावास अधिकार (हैबिटेट राइट्स) को मान्यता प्रदान कर दी। हैबिटेट राइट केवल एक कानूनी अधिकार ही नहीं है, बल्कि इन पीवीटीजी की मूल पहचान और प्राकृतिक संस्कृति को बचाने की दिशा में सरकार का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

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