कुशल नेतृत्व ,दूरदर्शी विचारक एवं प्रेरणादायक व्यक्तित्व की पहचान थी लोकमाता- स्वाति द्विवेदी
Updated on
22-11-2024 05:21 PM
कुशल नेतृत्व ,दूरदर्शी विचारक एवं प्रेरणादायक व्यक्तित्व की पहचान थी लोकमाता- स्वाति द्विवेदी
लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की जीवन गाथा और योगदान पर गुरुवार को शहर के शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के प्राचार्य बी के बमोरिया , मुख्य अतिथि समिति अध्यक्ष पंडित कैलाशपति नायक , मुख्य वक्ता स्वाति द्विवेदी, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर मेघा भँवर, महेश श्रीवास्तव, रश्मि रघुवंशी, दीपा रघुवंशी मंचासीन रही। कार्यक्रम का शुभारंभ मांँ सरस्वती ,भारत माता, लोक माता देवी अहिल्याबाई होलकर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर एवं पुष्प अर्पित कर किया गया। अतिथियों को मंगल तिलक रश्मि रघुवंशी समिति सचिव ने किया। कार्यक्रम की रूपरेखा का प्रस्तुतीकरण दिनेश गुप्ता शिक्षक समिति कोषाध्यक्ष ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित स्वाति द्विवेदी ने बताया की देवी अहिल्या का जीवन साधारण से असाधारण किस प्रकार बना पर विस्तार से प्रकाश डाला ।महारानी होल्कर उसे दौर की शासक थी जब महिलाओं के लिए शिक्षा राजनीति और शासन में भाग लेना अत्यंत कठिन माना जाता था। उन्होंने समाज की रूढ़िवादी धारणाओं को तोड़ते हुए न केवल शक्तिशाली राज्य पर प्रशासन किया बल्कि एक कुशल नेतृत्व, दूरदर्शी विचारक और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में समाज में पहचान बनाई। आपने बताया कि अहिल्याबाई हमेशा अपनी प्रजा और गरीबों की भलाई के बारे में सोचती रहती थी ।उन्होंने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति, महिलाओं की शिक्षा पर बृहद कार्य किया इस कारण वह लोकमाता कहलाईं। डॉक्टर मेघा भँवर ने बताया देवी अहिल्याबाई पाककला से लेकर युद्ध कला तक 18 कलाओं में निपुण थी ।उन्होंने अपने 28 वर्ष के शासनकाल में पेशवा बाजीराव को हराया ,उन्होंने मराठा संघ से मिलकर अहमद शाह अब्दाली को हराया ,हैदर अली को हराया, पेशवा नारायण राव को हराया और अपने राज्य की सुरक्षा की।
पंडित कैलाशपति नायक ने बताया अहिल्याबाई शिव भक्त थी पूजा करने के बाद ही अन्न, जल ग्रहण करती थी ।इसलिए उनके आदेशों श्री शंकर नाम से जारी किए जाते थे। उन्होंने सोमनाथ मंदिर ,विश्वनाथ मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर ,ओंकारेश्वर मंदिर ,भीमाशंकर मंदिर, रामेश्वर मंदिर ,गौकरण मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर आदि का पुनर्निर्माण करवाया। आपने बताया अहिल्याबाई ने समरसता के साथ कार्य कर दलितों, आदिवासियों और पिछड़े समाज की भलाई के लिए कार्य किया और मंच से ही स्वाति द्विवेदी को सर्वसम्मति से जिला समिति की ओर से अतिथि विद्वान वक्ता नियुक्त करने की घोषणा की जिसका सभी ने स्वागत किया ।समिति सदस्य महेश श्रीवास्तव ने बताया अहिल्याबाई ने 1767 में यानी आज से 250 वर्ष पूर्व कुटीर उद्योग स्थापित कर कुटीर उद्योग की अवधारणा की शुरुआत की, किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं, सिंचाई व्यवस्था के लिए नहरे एवं तालाबों का निर्माण करवाया। अंत में आपने बताया कि आज की बाल एवं युवा पीढ़ी में स्वत्व जागरण और आदर्श परिवार का वातावरण बनाने की आवश्यकता है। तभी भारत और भारतीय जन उस राष्ट्र गौरव को छू सकेंगे। जहांँ भारत कभी रहा है। मंचासीन अतिथियों ने लोकमाता के जीवन से सिख, राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने का आग्रह किया। विद्यालय के शिक्षक हीरेंद्र सिंह कुशवाहा ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कुशल नेतृत्व ,दूरदर्शी विचारक एवं प्रेरणादायक व्यक्तित्व की पहचान थी लोकमाता- स्वाति द्विवेदी लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की जीवन गाथा और योगदान पर गुरुवार को शहर के शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक…
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