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दो जिस्म, एक जान की जबरदस्त नयी कहानी

Updated on 09-01-2025 05:22 PM


तिरुपति मंदिर में हुई भगदड़ के बड़े में क्या लिखना ? जो मरे उन्हें भगवान ने मोक्ष प्रदान कर ही दिया होगा । जो बच गए हैं वे मोक्ष पाने के लिए प्रयाग जा सकते है। क्योंकि भगदड़ और मरने से हम हिंदुस्तानी कहाँ डरते हैं। हमारा डर तो वे लोग हैं जो बिधूड़ी की भाषा में पहचाने जाते हैं, इसलिए इन घटनाओं को दरकिनार करते हुए मै आज आपको ‘ दो जिस्म ,एक जान ‘ नाम की एक नई और जबरदस्त कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ऐसे किस्से सदियों में बनते हैं।

मौजूदा सदी में जबकि दुनिया एक गांव हो चुकी है तब दो जिस्म ,एक जान का किस्सा अमेरिका और भारत में जन्मा है । अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प साहब और भारत के प्र्धानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दस मोदी भले ही दो जिस्म हों लेकिन हैं एक जान। दोनों एक ही तरीके से सोचते हैं,बोलते हैं और काम करते हैं। आपको यकीन न हो तो इन दोनों नेताओं के जीवन चरित्र पर एक सरसरी नजर जरूर डाल लीजिये। सब कुछ समझ में आ जाएगा आपके।

ताजा किस्सा है कनाडा का । डोनाल्ड ट्रम्प साहब ने कनाडा से अमेरिका में 51 वे राज्य के रूप में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी भी अखंड भारत का सपना पूरा करने के लिए पाकिस्तान,बांग्लादेष को भारत में शामिल कर लेना चाहते हैं। मोदी जी का बस चले तो वे अफगानिस्तान को भी भारत में शामिल कर लें ,भूटान और नेपाल को भी न छोड़ें ,लेकिन ऐसा हो नहीं पाता। सीमाओं का विस्तार उतना आसान नहीं है जितना माना जाता है। ये अणु-परमाणु का जमाना है।

ट्रम्प साहब हमारे मोदी जी की तरह जिद्दी हैं। राजहठ उनका स्वभाव है। कहते हैं कि इसी के चलते अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाथ धोकर कनाडा के पीछे पड़ गए हैं। ट्रंप, कनाडा को आर्थिक ताकत के बल पर अमेरिका का हिस्सा बनाने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं। अब एक ताजा सोशल मीडिया पोस्ट में कनाडा और अमेरिका का साझा नक्शा पोस्ट किया और उसे संयुक्त राज्य अमेरिका लिखा। ट्रंप के इस पोस्ट पर कई कनाडाई नेताओं ने कड़ी नाराजगी जाहिर की।

भारत में सरकार तो नहीं लेकिन सरकार की माँ कहे जाने वाले संगठन आरएसएस की और से अखंड भारत के नक्शे जब-तब जारी किये जाते रहते हैं। नक्शों पर सीमाओं का विस्तार तो हमारा पड़ौसी चीन भी करता ही रहता है । कभी चीन अरुणाचल को अपना हिस्सा बताने लगता है तो कभी गलवान घाटी को। लेकिन बात अभी मोदी और ट्रम्प की चल रही है । दोनों दो जिस्म होते हुए भी एक जान है। दोनों धनकुबेरों के बूते सत्ता में आये हैं। दोनों घुसपैठियों के बारे में एक जैसी सोच रखते है। ट्रम्प साहब के लिए कनाडा ही नहीं बल्कि ग्रीनलैंड भी महत्वपूर्ण हो गया है। ट्रंप ने पनामा नहर और ग्रीनलैंड पर कब्जा करने के लिए सैन्य बल के इस्तेमाल की संभावना से भी इनकार नहीं किया। उन्होंने दोनों पर अमेरिका के नियंत्रण को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया। ट्रंप ने कहा कि पनामा नहर हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है। हमें राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए ग्रीनलैंड की भी जरूरत है।’

अब भारत फ़िलहाल अमेरिका की तरह ताकतवर नहीं है फिर भी भारत के प्रधानमंत्री ने ट्रम्प की तरह बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को तख्ता पलट के बाद अपना मेहमान बना ही लिया है। कल को मुमकिन है कि शेख हसीना दोबारा सत्ता में लौटें तो बांग्लादेश को भारत में विलय करने का प्रस्ताव ले आएं। उम्मीदों पर आसमान टिका रहता है। ट्रम्प ने भी मोदी की तरह अमेरिका में अपने दृष्टि बाधित भक्त बनाये हैं और उन्हीं के बूते वे दोबारा सत्ता में वापस लौटे हैं। मोदी के साथ भी यही संयोग है ,वे भी तीसरी बार अंधभक्तों के सहारे ही सत्ता में वापस लौटे हैं भले ही उन्हें आंध्र और बिहार की बैशाखियाँ लगना पड़ी हों।

दो जिस्म और एक जान के इरादे,वादे भी एक जैसे ही है। दोनों के ख्वाब भी एक जैसे हैं। एक विश्व गुरु बनना चाहता है और दूसरा विश्व गुरु घंटाल। दोनों एक तरह से अवतार पुरुष हैं। फर्क सिर्फ इतना है की ट्रम्प साहब बाल-बच्चेदार हैं और मोदी जी रणछोड़दास। उनकी पत्नी है लेकिन वे उन्हें छोड़ चुके हैं ,जबकि ट्रम्प साहब ने ऐसा नहीं किय बल्कि एक बार नहीं दो-बार विवाह किया। दुनिया की नजर इन दोनों महान नेताओं पार टिकी है । ये दोनों ही दुनिया के लिए अजूबे हैं। ये दोनों कब ,क्या कर बैठें कोई नहीं जनता। दोनों के एजेंडे ‘ हिडन ‘ रहते हैं। दोनों राष्ट्रभक्त है। राष्ट्रवादी हैं इसलिए घुसपैठियों को दश निकला देना चाहते हैं।

आपको बता दें कि अमेरिकी इमीग्रेशन काउंसिल के मुताबिक अमेरिका में फिलहाल 1.3 करोड़ अवैध प्रवासी हैं। इनको निकालने में ट्रंप प्रशासन को लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं। भारत में अभी इस तरह का न कोई हिसाब लगाया गया है और न इस बारे में सोचा गया है। लेकिन कल को यहां भी अमेरिका की नकल की जा सकती है। बहरहाल हम ‘ दो जिस्म ,एक जान ‘ की कहानी को यहीं बंद करते है। इस कहानी का शेष भाग फिर कभी । फिलहाल तेल देखिये और तेल की धार देखिये।

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