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कभी स्कूल की फीस भरने तक के नहीं थे पैसे, जहां मिली पहली नौकरी आज उसी कंपनी के हैं सीईओ

Updated on 06-11-2023 03:25 PM
नई दिल्ली: कहते हैं अगर कुछ करने की तमन्ना हो तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती है। हरियाणा के एक छोटे कस्बे से निकल आईटी कंपनी डेलॉइट ग्लोबल (Deloitte Global) के सीईओ बनने वाले पुनीत रंजन की सोच का लोहा पूरी दुनिया मानती है। पुनीत रंजन ने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। एक समय ऐसा था जब पुनीत की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। स्कूल की फीस भरने तक के पैसे नहीं होते थे। लेकिन कहते हैं कि सपने उनके ही सच होते हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। इस लाइन को सार्थक करने का काम किया है पुनीत रंजन ने। उन्होंने रोहतक के एक स्थानीय कॉलेज से स्नातक किया क्योंकि यहां की फीस कम थी। एक अखबार में छपे विज्ञापन को देखने के बाद उन्होंने नौकरी के लिए दिल्ली का रुख भी किया था।

मुश्किलों का किया सामना


हरियाणा के एक छोटे से गांव में जन्में पुनीत रंजन का बचपन काफी अभाव में बीता था। पुनीत के माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए उन्हें स्कूल की फीस भरने में भी परेशानी होती थी। ये वो समय था जब उनके माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो उन्हें अच्छे स्कूल में भेज पाते। फीस न भर पाने के कारण उन्हें अपना स्कूल तक छोड़ना पड़ा था। रंजन ने अपनी स्कूली शिक्षा लॉरेंस स्कूल, सनावर, हिमाचल प्रदेश से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने रोहतक के एक स्थानीय कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी।

ऐसे बढ़े आगे


पुनीत अपने घर की आर्थिक स्थिति ठीक करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें नौकरी की तलाश थी। एक अखबार में उन्होंने नौकरी का विज्ञापन देखकर वो इसकी तलाश में दिल्ली आ गए। पुनीत ने नौकरी की तलाश करते हुए आगे की पढ़ाई करना जारी रखा। इसी बीच उन्हें विदेश में पढ़ाई करने के लिए स्कॉलरशिप मिल गई। यहीं से उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आ गया।

दो जोड़ी जींस लेकर गए अमेरिका


पुनीत दो जोड़ी जींस और कुछ पैसों के साथ अमेरिका चले गए। जहां उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। पुनीत रंजन की प्रतिभा की पहचान तब हुई जब स्थानीय पत्रिकाओं में 10 सर्वश्रेष्ठ छात्रों में से एक के रूप में उन्हें चित्रित किया गया था। पुनीत की प्रतिभा को डेलॉयट ने पहचाना और मिलने के लिए बुलाया। साल 1989 में उन्हें डेलॉइट में नौकरी मिल गई थी।

ऐसे बने सीईओ


जानकारी के मुताबिक, पुनीत ने डेलॉइट में 33 साल से ज्यादा समय तक काम किया। पुनीत की मेहनत रंग लाई ओर उनकी प्रतिभा को देखते हुए डेलॉइट ने साल 2015 में उन्हें अपना सीईओ बना दिया। बता दें कि डेलॉइट विश्व की चार सबसे बड़ी आडिट फर्मों में से एक है। डेलॉइट कंपनी की उपस्थिति भारत सहित विश्व के 150 देशों में है और इसमें लगभग दो लाख से अधिक कर्मचारी कार्य करते हैं।

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