एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी ED ने चाइनीज मोबाइल मैन्युफैक्चरर वीवो से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 3 और लोगों को गिरफ्तार किया है। तीनों लोगों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत अरेस्ट किया गया है। इस मामले में अब गिरफ्तारियों की कुल संख्या 7 हो गई है। वहीं ED ने 7 दिसंबर को मामले में पहली चार्जशीट फाइल की थी।
इन हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियों में वीवो इंडिया के अंतरिम CEO होंग ज़ुक्वान, वीवो के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) हरिंदर दहिया और सलाहकार हेमंत मुंजाल शामिल हैं। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि तीनों आरोपियों को रविवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया और उन्हें तीन दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
इससे पहले अक्टूबर में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में चीनी नागरिक गुआंगवेन क्यांग उर्फ एंड्रयू कुआंग, लावा इंटरनेशनल के MD हरिओम राय के अलावा चार्टर्ड अकाउंटेंट राजन मलिक और नितिन गर्ग को गिरफ्तार किया था। करीब एक साल पहले एजेंसी ने देशभर में वीवो मोबाइल्स और उसकी 23 एसोसिएट कंपनीज की 48 लोकेशंस पर तलाशी ली थी।
वीवो ने कहा- मौजूदा कार्रवाई से बेहद चिंतित
वीवो के प्रवक्ता ने कहा- 'हम अधिकारियों की मौजूदा कार्रवाई से बेहद चिंतित हैं। हाल की गिरफ्तारियां लगातार उत्पीड़न को दर्शाती हैं और इंडस्ट्री में अनिश्चितता का माहौल पैदा करती हैं। हम इन आरोपों को चुनौती देने के लिए सभी कानूनी तरीकों का उपयोग करने के लिए दृढ़ हैं।'
टैक्स बचाने के लिए वीवो ने आधी इनकम चीन भेजी
ED के अरोपों के मुताबिक, चीन को अवैध रूप से फंड ट्रांसफर करने के मकसद से भारत में 19 कंपनियां बनाई गईं। इसके अलावा आर्थिक मामलों की जांच एजेंसी ने पाया कि वीवो मोबाइल्स इंडिया ने टैक्स बचाने के लिए सेल्स से हुई अपनी इनकम का आधा हिस्सा (करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए) चीन में ट्रांसफर किया। इसमें अवैध रूप से 62,476 करोड़ रुपए चीन भेजे गए थे।
क्या है PMLA कानून?
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA को आम भाषा में समझें तो इसका मतलब है- दो नंबर के पैसे को हेरफेर कर ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून। ये एक्ट मनी-लॉन्ड्रिंग को रोकने, मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या उसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए प्रावधान करने के लिए है।
PMLA, 2002 में NDA के शासनकाल में बना था। ये कानून लागू हुआ 2005 में कांग्रेस के शासनकाल में, जब पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे। PMLA कानून में पहली बार बदलाव भी 2005 में चिदंबरम ने ही किया था।
PMLA के तहत ED को आरोपी को अरेस्ट करने, उसकी संपत्तियों को जब्त करने, उसके द्वारा गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलने की सख्त शर्तें और जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान को कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य होने जैसे नियम उसे ताकतवर बनाते हैं।